Saturday, July 25, 2009

माँ


माँ बच्चो के लिए सारे दर्द उठा लेती है, खाना पकाते-पकाते हाथ जला लेती है।


माँ के हाथो मैं कहाँ है बद्दुआ देना, उसको तोह दिल है बस दुआ देती है।


कितनी प्यारी भोली भाली ममतामयी है वो, अपने कन्हैया के लिए सच को झूट बना लेती है।


ये उसका प्यार करुणा तोह देख इश्वर,ख़ुद भूखी भले ही सो जाए, पर मुझको खिला देती है।


बेचैन भी हो जाती है ज़ख्म मेरे तन पर देखकर, और कॉपते हुए हाथों से मरहम भी लगा देती है।


भगवान् भी तरसते है जिसका दुलारे पाने को, इस दुनिया के भगवान् का भगवान् माँ होती है।


Friday, July 24, 2009

डर


मरने का डर है हर उस इंसान को ,जो इस संसार मैं जीना चाहता है।

फ़िर जाने का डर है हर उस इंसान को , जो इस संसार मैं उठाना चाहता है।

मछली को डर है कि उसे ,मछुआरा पानी से निकालने वाला है।

मछुआरे को डर है कि उसकी ,नोव कोई पलटाने वाला है।

अग्नि को डर है कि ,पानी उसेह बुझाने वाला है।

पानी को डर है कि ,सूर्य उसेह उडाने वाला है।

और डर को डर है कि , सहस उसेह मिटाने वाला है।

सहस निडर है क्योकि वह ,मुश्किलों का सामना करने वाला है।


Tuesday, July 21, 2009

ज़िन्दगी ऐसी ही होती है..


कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है मै तुझसे दूर कैसा हू तू मुझसे दूर कैसी है ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है मोहबत्त एक अहसासों की पावन सी कहानी है कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूं है जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है मै जब भी तेज़ चलता हू नज़ारे छूट जाते है कोई जब रूप गढ़ता हू तो सांचे टूट जाते है मै रोता हू तो आकर लोग कन्धा थपथपाते है मै हँसता हू तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते है समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता ये आसूं प्यार का मोती इसको खो नहीं सकता मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता भ्रमर कोई कुम्दनी पर मचल बैठा तो हंगामा हमारे दिल कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोह्बत्त का मै किस्से को हक्कीकत में बदल बैठा तो हंगामा बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेडे सह नहीं पाया हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नहीं पाया अधूरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का किस्सा कभी तू सुन नहीं पाई कभी मै कह नहीं पाया

जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में. ll

दोस्ती ही ज़िन्दगी है।

फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती,
सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,
सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,
दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,
काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती,
जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती,
रिश्तों की नाजुकता समझाती है दोस्ती,
रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,
तन्हाई में सहारा है दोस्ती,
मझधार में किनारा है दोस्ती,
जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,
किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,
हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती,
हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती,
कमी है इस जमीं पर पूजने वालों की वरना इस जमीं पर "खुदा" है दोस्ती