माँ बच्चो के लिए सारे दर्द उठा लेती है, खाना पकाते-पकाते हाथ जला लेती है।
माँ के हाथो मैं कहाँ है बद्दुआ देना, उसको तोह दिल है बस दुआ देती है।
कितनी प्यारी भोली भाली ममतामयी है वो, अपने कन्हैया के लिए सच को झूट बना लेती है।
ये उसका प्यार करुणा तोह देख इश्वर,ख़ुद भूखी भले ही सो जाए, पर मुझको खिला देती है।
बेचैन भी हो जाती है ज़ख्म मेरे तन पर देखकर, और कॉपते हुए हाथों से मरहम भी लगा देती है।
भगवान् भी तरसते है जिसका दुलारे पाने को, इस दुनिया के भगवान् का भगवान् माँ होती है।